॥श्री साईं सार ॥
॥ श्री शिर्डी साईं बाबा सार ॥
॥ अनमोल वचन ॥
जिस तरह कीडा कपडे को कुतरता है, उसी तरह इर्षा मानुष को॥
क्रोध मुर्खता से शरू होता है और पश्च्याताप पैर ख़तम होता है॥
नम्रता से देवता भी मानुष के वस् में आ जाते है॥
सम्पनता मित्रता बदती है और विपदा उनकी परक करती है॥
एक बार निकले बोल वापस नही आते, अथ सौच के बोले ॥
तलवार की चोट इतनी तेज नही होती है जितनी जिव्हाया की ॥
धीरज के सामने भानकर संकट भी धुए के बदल की तरह उड़ जाते है॥
तीन सच्चे मित्र है~बुदी पत्नी, पुराना कुत्ता और पास का धन॥
मानुष के तीन सद्गुण~ आशा विशवास और दान॥
घर में मेल होना पृथ्वी पे स्वर्ग के सामान है॥
मानुष की महत्ता उसके कपड़ो से नही वरन उसके आचरण से होती है॥
दुसरो के हित के लिए आपना सुख त्याग करना साची सेवा है॥
भूत से प्रेरणा ले के वर्त्तमान में भाविश्व का चिंतन करना चाहिए ॥
जब तुम किसी की सेवा करो तो उसकी त्रुटियों को देख कर उस से घृणा नही करनी चाहिए ॥
मानुष के रूप में परमात्मा सदा हमारे सामने होते है उनकी सेवा करो ॥
अँधा वो नही जिसकी आँखे नही है अँधा वह है जो अपने दोषों को ढकता है ॥
चिंता से रूप बल और ज्ञान का नाश होता है ॥
दुसरो को गिराने की कोशिश में तुम स्वयं गिर जागोगे ॥
प्रेम मानुष को अपनी ओर खीचने वाला चुम्बक है ॥
Wednesday, August 19, 2009
Shirdi Sai baba Saar~Sai Baba Sayings
Shirdi Sai baba Saar~Sai Baba Sayings
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Sai baba Saar and Sayings
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